पलकों के हसीन ख्वाब लिए....! G..n...Hindi poem
पलकों के हसीन ख्वाब लिए,
आई है रात सुहानी....
सितारों से भरे आसमान में,
चांद निकलने की है तैयारी.....
रात रानी के फूलों से,
महक उठी फिज़ा ये सारी.....
जुगनू ओ ने अपनी रोशनी से,
रात्रि की सोभा ओर बढ़ाई....
दादी भी सुना रही बच्चों को,
परियों की सुंदर कहानी....
कहीं दूर से आ रही मां की,
लोरी की मिठास है प्यारी....
नींद से बोझल ईन आंखों को,
सुलाने आई है नींदीया रानी....
दिन भर के काम काज से,
जब थक गई ये दुनिया सारी....
सुकून की नींद ले कर,
आई है ये रात सुहानी....
प्रभात.....
आई है रात सुहानी....
सितारों से भरे आसमान में,
चांद निकलने की है तैयारी.....
रात रानी के फूलों से,
महक उठी फिज़ा ये सारी.....
जुगनू ओ ने अपनी रोशनी से,
रात्रि की सोभा ओर बढ़ाई....
दादी भी सुना रही बच्चों को,
परियों की सुंदर कहानी....
कहीं दूर से आ रही मां की,
लोरी की मिठास है प्यारी....
नींद से बोझल ईन आंखों को,
सुलाने आई है नींदीया रानी....
दिन भर के काम काज से,
जब थक गई ये दुनिया सारी....
सुकून की नींद ले कर,
आई है ये रात सुहानी....
प्रभात.....
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