आईना-ए-जिंदगी.....G...m.....Hindi poem
हर रात को चाँद का, सिंगार नहीं मिलता......! हर डालीं को फूलों का, प्यार नहीं मिलता.....! अरमान बहोत होते हैं, इस दिल में पर.....! हर किसी को मन चाहा, संसार नहीं मिलता.....! कश्तियां तो बहोत फिरती है, साहिल की लहरों पर.....! यहां हर कसती को, किनारों का प्यार नहीं मिलता....! आशियाने बिखर जाते हैं, हवा के हलके झोंके से.....! हर किसी को चैन की, अटूट दिवार नहीं मिलती.....! ये जिवन काँटों से भरी, बगीया का एक गुलाब है.....! यहां हर गले के लिए, फूलों का हार नहीं मिलता....!* गीत बहोत होते हैं, होंठों पर जिवन के.....! पर हर गीतों को साज की, वो धार नहीं मिलता....! ये जिन्दगी छलावा है, बस एक दिखावा है.....! यहां कभी किसी को, सच्चा एक यार नहीं मिलता....! हमनें यही सोचकर, सब्र कर लिया है "प्रभात....!" की यहां हर इंसान को, इंसान का प्यार नहीं मिलता....!!* सुप्रभात दोस्तों 🔆🙏 हंसते मुस्कुराते रहो 😊💖 प्रभात...... |
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