Family poem haan Mai mohabbat hun ......!!
मैं मोहब्बत हूं.....
हर दिल की मैं जरूरत हूं.....
हां मैं मोहब्बत हूं.....!!
हर दिल की मैं जरूरत हूं.....
हां मैं मोहब्बत हूं.....!!
माँ के आँचल लिपटे हुए उस बच्चे के लिए,
उस माँ की आँखों का मैं तारा हूं....
उस माँ की आँखों का मैं तारा हूं....
हां मैं मोहब्बत हूं......!!
बाप के कांधे चढ़ बेटा दुनिया जो देखे,
उनके खून पसीने से सिंचा हुए वो पौधा हूं......!!
उनके खून पसीने से सिंचा हुए वो पौधा हूं......!!
हां मैं मोहब्बत हूं.....!!
प्यारी बहेना की गोद में खेलता वो बचपन,
भाई की कलाई पे बांधी रेशम की वो डोर हूं......!!
भाई की कलाई पे बांधी रेशम की वो डोर हूं......!!
हां मैं मोहब्बत हूं......!!
दादा दादी की कहानियों में,
जिंदगी में मिलती वो सिख हूं......!!
जिंदगी में मिलती वो सिख हूं......!!
हां मैं मोहब्बत हूं......!!
सात जन्मों का जुड़ा जो बंधन,
उस पत्नी के माथे का मैं सुहाग हूं......!!
उस पत्नी के माथे का मैं सुहाग हूं......!!
हां मैं मोहब्बत हूं......!!
हर रिश्ते में मेरा वजूद है,
मेरी वजह से हर रिश्ते की बुनियाद है,
कभी नफरत को तुम मेरी जगह मत देना,
मेरी वजह से हर रिश्ते की बुनियाद है,
कभी नफरत को तुम मेरी जगह मत देना,
क्योंकि......,
मैं मोहब्बत हूं..... मोहब्बत हूं.... हां मोहब्बत हूं....
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