Tera singar Banu beauty Hindi poem


तेरे हुस्न-ए-जमाल की, मैं मिसाल बनूं......
तू जब संवरने लगे, मैं तेरा सिंगार बनूं.......

बिखरी लटे जब तेरी, सुलझाने लगे,
तेरी जुल्फों में लिपट के, गजरे का हार बनूं......

यूं तो डूब गया हूं मैं तेरी इन झील सी नशीली आंखों मे,
पर नशा मुझ पर तब और चढ़े,
जब तेरी आंखों का मैं काजल बनूं.......

तेरे चेहरे की सोभा मेरी जान, तब और भी बढ़ जाएगी,
जब तेरे माथे की बिंदिया का, मैं चमकता सितारा बनूं.......

तेरे सुर्ख लब चुमने को, मैं हर पल बेताब रहूं जानम,
पी लूं तेरे होंठों के जाम, बन के लाली जब तेरे होंठों से लगूं......

तमन्ना तो यही है के, एक पल भी तुझसे ना दूर रहूं,
तुझसे यूं लिपटा ही रहूं मैं, जब तेरे गले का हार बनूं......

मन मुग्ध हो जाता है, तेरी चुड़ियों की आवाज से,
तेरी छुवन मुझे मिले जाए, जब तेरे हाथों का मैं कंगन बनूं......

तेरे कदमों की हर आहट में मिठी सी झनकार बजे,
पैरों की तेरे बन के पायल जब में तेरे साथ चलूं.....

बन जाऊं मैं तेरे तन का लिबास, और तुझमें ही खोया रहूं,
बचाए जो तुझे हर बूरी नजर से, वो टीका मैं तेरा बनूं......

तुझे देख लोग यही कहे, जैसे उतर आया फलक से माहताब कोई,
तेरे नूर से रोशन हो जाए ये ज़हां, ऐसा मैं तेरा सिंगार करूं.....


प्रभात.....➍➭ß

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