Beti ki bidai Hindi poem
बेटी की बिदाई....!
घड़ी ये कैसी आई है,
बाबुल के घर से आज बिदाई है.....!
बचपन गुजरा जिस आंगन,
उस आंगन से आज बिदाई है......!
चलना सीखा जिसकी ऊंगली पकड़ के,
उस पिता की गोद से आज बिदाई है......!
सुना के लोरी जिसने सुलाया था,
उस मां के आंचल से आज बिदाई है.......!
बांधी बरसों जिस हाथ में राखी,
उस भाई से आज बिदाई है.......!
बांटें सुख-दु:ख के पल जिन संग,
उन सखियों से होना आज पराई है.......!
छोड़ के बाबुल की बगिया,
घर पिया का अब सजाना है........!
रित ये ना जाने कैसी बनाई है,
बाबुल कहते हैं बेटी अब तू पराई है.......!
प्रतिभा.......
घड़ी ये कैसी आई है,
बाबुल के घर से आज बिदाई है.....!
बचपन गुजरा जिस आंगन,
उस आंगन से आज बिदाई है......!
चलना सीखा जिसकी ऊंगली पकड़ के,
उस पिता की गोद से आज बिदाई है......!
सुना के लोरी जिसने सुलाया था,
उस मां के आंचल से आज बिदाई है.......!
बांधी बरसों जिस हाथ में राखी,
उस भाई से आज बिदाई है.......!
बांटें सुख-दु:ख के पल जिन संग,
उन सखियों से होना आज पराई है.......!
छोड़ के बाबुल की बगिया,
घर पिया का अब सजाना है........!
रित ये ना जाने कैसी बनाई है,
बाबुल कहते हैं बेटी अब तू पराई है.......!
प्रतिभा.......
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