तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है...!!! Hindi suvichar

तेरी इस दुनिया में,
ये मंज़र क्यों है.......

कहीं ज़ख्म तो कहीं,
पीठ में खंजर क्यों है......

सुना है तू,
हर ज़र्रे में है रहता.......

फिर जमीं पर कहीं मस्जिद,
तो कहीं मंदिर क्यों है......

जब रहने वाले दुनिया के,
हर बंदे हैं तेरा......

फिर कोई दोस्त,
तो कोई दुश्मन क्यों है......

तू ही तो लिखता है,
हर किसी का मुकद्दर......

फिर कोई बदनसीब,
तो कोई खुशनसीब क्यों है.....!!

प्रभात...........

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