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Showing posts from March 10, 2019

तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है...!!! Hindi suvichar

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तेरी इस दुनिया में, ये मंज़र क्यों है....... कहीं ज़ख्म तो कहीं, पीठ में खंजर क्यों है...... सुना है तू, हर ज़र्रे में है रहता....... फिर जमीं पर कहीं मस्जिद, तो कहीं मंदिर क्यों है...... जब रहने वाले दुनिया के, हर बंदे हैं तेरा...... फिर कोई दोस्त, तो कोई दुश्मन क्यों है...... तू ही तो लिखता है, हर किसी का मुकद्दर...... फिर कोई बदनसीब, तो कोई खुशनसीब क्यों है.....!! प्रभात...........

जरा सा मजबूर रहना भी अच्छा है.....!!! Hindi suvichar

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नशा चाहे करो न करो, पर थोड़ा सुरूर में रहना अच्छा है.... मतलबी लोगों से तो, हमेशा दूर ही रहना अच्छा है.... अपनी खुद्दारी का भी, गुरुर होना अच्छा है.... सत्य वचन कहने के लिए, मशहूर रहना भी अच्छा है.... कहीं घमंड ना आ जाए  धन-दौलत का हम में.... इस लिए मेरे दोस्तों..... इंसान का जरा सा, मजबूर रहना भी अच्छा है.....!!! प्रभात..........

दहेज में अपने ऐसा क्या दे दिया.....??? Hindi dahej pratha poem

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अपने घर का, खिलौना दे दिया..... आंगन का, चमकता चांद दे दिया..... धन दे दिया, मन दे दिया, अपने कलेजे का टुकड़ा दे दिया..... जो था आजतक अपना, वो सबकुछ दे दिया..... घर रोशन था जिससे मेरा, वह घर का दिया भी दे दिया..... तब भी वो पुछते हैं मुझसे, दहेज में अपने ऐसा क्या दे दिया.....?? प्रभात...........