हिसाब जिंदगी का.....!!! Hindi suvichar

बादलों के पानी का हिसाब,
समुंदर से कौन पुछेगा..

जिंदगी है एक किताब,
रोज खुलता है एक पन्ना..

पन्नों का हिसाब,
क़िस्मत से कौन पुछेगा..

जो लम्हें रह गए,
पन्नों से चिपक कर..

उन्हें न जी पाने का हिसाब,
जिंदगी से कौन पुछेगा..

हिसाब जिंदगी का,
इंसान कहां लगा पाया है..

दी है जिसने ये जिंदगी,
वही पार लगाएंगा..

प्रभात.........

Comments

  1. Suprabhat drrr Prabhat

    Nice thought
    Suprb GBU jn

    Hamesha haste raho
    Muskurate raho ji😊

    Good morning
    Hv a smiley dy
    🌹☕😘💞👌

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

"माँ" के लिए मैं क्या लिखूं....? माँ ने तो खुद मुझे लिखा है.....Hindi suvichar

चढाऊँ क्या तुझे भगवन.....?? प्रार्थना सुबह की....

डर लगता है तुझे खोने से......!!! ( Dar lagta hai tujhe khone se..!!)Hindi love poem