मंदिर, मस्जिद की पुकार.....!!! Hindi Desh bhakti poem

मंदिर, मस्जिद की पुकार,
अब कहां लोगों को सुनाई देती है.....

भेड़ बन गई है आज सारी आवाम,
जो सही ग़लत नहीं समझ पाती है.....

कभी मिसाल थी दोस्ती इनकी,
पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान की......

रहते थे जो मंदिर मस्जिद में,
राम रहीम जिनके नाम थे.....

होती थी जब मगरिब की अज़ान,
उसकी आवाज़ें घर तक आती थी....

पंडित के घर में औरतें भी,
तभी दिया जलाती थी.....

कभी पंडित के लोटे से,
मुसलमा वजू बनाया करते थे.....

सुख दु:ख हो या शादी, मैयत,
सब में साथ निभाया करते थे.....

जाती धर्म का कोई भेद नहीं था,
सब एक रिश्ते में आते थे.....

अब मंदिर की दीवारें हैं,
और मस्जिद की बस मिनारें हैं.....

खत्म हो गया वो प्यार मोहब्बत,
अब सबके हाथों में तलवारें है.....

बांट दिया इस मुल्क को धर्म जात में,
सियासत के हुक्मरानों ने......

आज दुश्मन बन बैठे हिन्दू, मुसलमान,
जो कभी एकता के दोनों प्रतिक थे.....!!!


प्रभात.........

Comments

  1. Super se upar poem he
    Mast My drrrr... P. dv

    Majhab nhi sikhata
    Aapas me beir rakhna...

    Good afternoon jn 😘
    Hv a bless day lu ji
    👌😊🍫🌹

    ☕🌹K sath hmari 😊drrrrr

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thanks dr b
      Tum ne nahi kaha par kanha ye sab ki samajh me aata hai
      😊🍫👏💕👫

      Delete

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