देश के दुश्मनों से दोस्ती की अब न कोई फरियाद हो.....!!! Hindi. Desh bhakti poem

नफरतों के नासूरों का,
कुछ तो अब इलाज हो...

देश के दुश्मनों से दोस्ती की,
अब न कोई फरियाद हो...

सुनी कोख, उजड़ी मांग पर,
अब ये सियासतें ‌बंद हो...

शहादत में मिले जख्मों का,
अब तो‌ कोई हिसाब हो...

हैवानों से आखिर कब तक,
अहिंसा से हमारी ‌बात हो...

ढाई आखर जो न समझे,
उससे क्या प्रेम का पाठ हो...

कब तक सहें देश मेरा,
अब तो भयंकर ललकार हो...

मुठ्ठी भर ईंटों को तो,
अब तो पत्थरों का जवाब है...

छुप कर वार जो करते हैं,
अब सामने से उनपर प्रहार हो...!!!

वंदे मातरम् 🙏

प्रभात...........

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