मोहब्बत की मुझ पर इनायत है........!!! Hindi love poem
मोहब्बत की मुझ पर इनायत है,
एक दिलकश दिलनशीं मेरी चाहत है...!
मुझे गम की अब कोई हवा नहीं छुती,
मेरी जान ही मेरे दिल की जो राहत है...!
उस चांद को भला अब मैं क्यूं देखूं,
मेरे माहताब सी जब उसकी सूरत है...!
मायूसी भी उसे देख मुस्कुरा देती,
जब करती वो कोई शरारत है...!
बोल उठती है मेरे हाथों की लकीरें,
क्या खूब "प्रभात" तेरी किस्मत है...!
पलक से जमी पर जिसे उतारा है खुदा ने,
वो बेनज़ीर हसीना मेरी मोहब्बत है...!
प्रभात...........
तेरा मेरा साथ रहे 👫💞
एक दिलकश दिलनशीं मेरी चाहत है...!
मुझे गम की अब कोई हवा नहीं छुती,
मेरी जान ही मेरे दिल की जो राहत है...!
उस चांद को भला अब मैं क्यूं देखूं,
मेरे माहताब सी जब उसकी सूरत है...!
मायूसी भी उसे देख मुस्कुरा देती,
जब करती वो कोई शरारत है...!
बोल उठती है मेरे हाथों की लकीरें,
क्या खूब "प्रभात" तेरी किस्मत है...!
पलक से जमी पर जिसे उतारा है खुदा ने,
वो बेनज़ीर हसीना मेरी मोहब्बत है...!
प्रभात...........
तेरा मेरा साथ रहे 👫💞
मुझे गम की अब कोई हवा नहीं छुती,
ReplyDeleteमेरी जान ही मेरे दिल की जो राहत है...!
Thank so superb
So romantic words Dr Prabhat
💕💓💗💞👈
Thanks dr ap ne ek line Chun Kar poem
DeleteKo or bhi hasin bana diya
🌹😊🙏