आखिर क्यूँ.......?? Hindi love poem......

आखिर क्यूँ.......??

 सोचा है जबसे तुझे,
             नींद नही आँखों में क्यूँ.......??

 जाना है जबसे तुझे,
             बेगाना हो गया हुं खुद से क्यूँ.......??

 ईन आँखों में जब देखता हुं तुझे,
             खो जाता हुं ईनमे ही क्यूँ.......??

 सारी दुनिया को छोड़ कर,
             प्यार आता है तुझपर ही क्यूँ.......??

 दोस्तों से जब कोई बात करूँ तो,
             तेरा नाम लबो पे आजाता है क्यूँ.......??

यूँ तो आँखें खूली ही रहेती है,
             खूली आँखों में भी तेरे ही सपने आते हैं क्यूँ.......??

रातें गुजरती है तेरे ख्वाबो में 
             दिन उगते ही तुझसे मीलने को तडपता हुं क्यूँ.......??

जाना चाहूं जो दूर कहीं 
             रुक जाता हुं तेरे पास आकर ही क्यूँ.......??

खो चुका हुं मैं सारी दुनिया,
             तुझे खोने से आखिर डरता हुं क्यूँ.......??

पता हे मेरे पास नही आवोगे तुम,
             फिर भी तुम्हें ही हर बार बुलाता हुं क्यूँ.......??

तुम बोलती हो मुझे ईतना याद और,
             मेरी ईतनी फिक्र ना करो.........

अब तुम ही बतावो तुम्हें याद और तुम्हारी फिक्र 
             आखिर करूँना मैं क्यूँ.......??


प्रभात.........
तेरा मेरा साथ रहे 👫

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