मुहब्बत के मुकद्दर में वो हसीं शाम कभी होती.....sad love Hindi poem ....

मुहब्बत के मुकद्दर में वो हसीं शाम कभी होती

सोचता हूं ये जिंदगी तो उसके नाम कभी होती

जो फूल उसकी जुल्फों तक नहीं पहुंच सका

उसे तोड़ने को वो दिल से परेशान कभी होती

मुझे पत्थर समझकर जो हमेशा तराशती रही

उस खुदा से हमारी दुआ सलाम कभी होती

जिसको देखा किए हर शब उल्फत के आइने में

वह अक्स हमारे आशियां की मेहमान कभी होती

प्रभात....

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