Good Morning poem in hindi

आज की सुबह मुझे
बस यही पैगाम देना है

फूल बन के खिले हैं हम
धूल में ही मिल जाना है

क्या तेरा और क्या मेरा यहां
सबकुछ यहीं पर रहे जाना है

लाख कमाले हम धन दौलत
बस दो रोटी का ही निवाला है

ईश्वर अल्लाह का अंश भी
मात-पिता में समाया है

चारों धाम का पुण्य भी तो
मां बाप के चरणों में पाया है

घुम लो आज मंहगी कार में
अंत में तो अर्थी पर ही जाना है

रिश्ते नाते सब यहीं छुट जाएंगे
बस कर्म ही हमें साथ ले जाना है

बहेंगे अपनों की आंखों से आंसू
बस यादें ही दिलों में रह जानी है

प्रभात.....

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